चाँद देखने की दुआ - नए चाँद को देख कर पढ़ने की मसनून दुआ
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आज हम आपको एक बेहद अहम दुआ के बारे में बताएंगे – “चाँद देखने की दुआ”। अल्लाह तआला ने क़ुरान में फरमाया है कि चाँद इंसानों के लिए वक़्त का हिसाब है। हर इस्लामी महीने की शुरुआत नए चाँद से होती है, और इस मौके पर हमारे प्यारे नबी मुहम्मद ﷺ ने हमें एक खास दुआ सिखाई है।
चाँद देखने की दुआ की फज़ीलत
अल्लाह के रसूल ﷺ हर नए चाँद को देखकर यह खास दुआ पढ़ा करते थे। यह सुन्नत-ए-रसूल ﷺ है, और इसमें बेशुमार बरकतें हैं। इस दुआ को पढ़ने से अल्लाह तआला पूरे महीने में अपनी रहमतें नाज़िल फरमाते हैं।
चाँद देखने की दुआ का मुकम्मल तरीका
जब आप नया चाँद देखें, तो यह दुआ पढ़िए:
अरबी में चाँद देखने की दुआ
اللّهُمَّ أَهِلَّهُ عَلَيْنَا بِالأَمْنِ وَالإِيمَانِ، وَالسَّلَامَةِ وَالإِسْلاَمِ، وَالتَّوْفِيقِ لِمَا تُحِبُّ وَتَرْضَى، رَبُّنَا وَرَبُّكَ اللَّهُ
चाँद देखने की दुआ का रोमन में तलफ्फ़ुज़ (English Transliteration)
Allahumma ahillahu ‘alayna bil-amni wal-iman
Was-salamati wal-islam
Wat-tawfeeqi lima tuhibbu wa tardha
Rabbuna wa Rabbukal-lah
चाँद देखने की अंग्रेज़ी में मतलब (English Translation)
“O Allah, make this new moon rise upon us with:
- Security and faith
- Safety and peace
- And grant us the ability to do what You love and what pleases You Our Lord and your Lord is Allah”
चाँद देखने की दुआ का तलफ्फ़ुज़
अल्लाहुम्मा अहिल्लहु अलैना बिल-अमनि वल-ईमान, वस-सलामति वल-इस्लाम, वत-तौफ़ीक़ लिमा तुहिब्बु व तर्ज़ा, रब्बुना व रब्बुकल्लाह
चाँद देखने की दुआ का तर्जुमा
ऐ अल्लाह! इस नए चाँद को हमारे ऊपर:
- अमन और ईमान के साथ
- सलामती और इस्लाम के साथ
- और वो तौफ़ीक़ जो तुझे पसंद और मंज़ूर है, उसके साथ चढ़ा
तू हमारा और इस चाँद का रब है
चाँद देखने की दुआ पढ़ने के आदाब
- चाँद नज़र आते ही पढ़ें
- खुले आसमान के नीचे खड़े होकर पढ़ें
- चाँद की तरफ इशारा करके पढ़ें
- खुलूस-ए-दिल से पढ़ें
- पूरे यक़ीन के साथ पढ़ें
चाँद देखने की दुआ की बरकतें
हज़रत आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा से रिवायत है कि रसूल अल्लाह ﷺ हर नए चाँद पर यह दुआ पढ़ते थे। इस मुबारक दुआ से हमें:
- अल्लाह की हिफाज़त मिलती है
- ईमान में इज़ाफा होता है
- इस्लाम पर साबित क़दमी मिलती है
- नेक आमाल की तौफ़ीक़ मिलती है
चाँद देखने की दुआ के खास मौक़े
- रमज़ान का चाँद देखना सबसे ज़्यादा अहमियत रखता है
- ईद का चाँद देखने पर यह दुआ खास तौर से पढ़ें
- हर इस्लामी महीने की शुरुआत पर पढ़ें
चाँद देखने की दुआ की तालीम
- अपने बच्चों को यह दुआ ज़रूर सिखाएं
- घर के हर फर्द को इसकी अहमियत बताएं
- मस्जिद और मदरसों में इसकी तालीम दें
- दूसरे मुसलमान भाइयों और बहनों को भी सिखाएं
आखिरी गुज़ारिश
चाँद देखने की दुआ हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा है। यह हमें अल्लाह से जोड़ती है और हर महीने की इबतिदा में बरकत का ज़रिया बनती है। इस दुआ को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बनाएं और इसकी बरकतों से फैज़याब हों।
इंशाअल्लाह, इस दुआ की बरकत से अल्लाह तआला हमें हर महीने में खैर-व-आफियत अता फरमाए और हमारे ईमान को मज़बूत करे। आमीन सुम्मा आमीन।
[नोट: यह आर्टिकल भारतीय मुस्लिम समुदाय के लिए लिखा गया है। इसमें उर्दू-हिंदी मिश्रित शब्दों का इस्तेमाल किया गया है जो मुस्लिम समाज में रोज़मर्रा इस्तेमाल होते हैं। फोकस कीवर्ड “चाँद देखने की दुआ” को पूरे आर्टिकल में मुनासिब जगहों पर इस्तेमाल किया गया है। बेहतर होगा कि इसके साथ चाँद और दुआ पढ़ने की तस्वीरें भी लगाई जाएं।]