दुआ ए मासूरा: माफी की सबसे प्यारी दुआ

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जानें दुआ ए मासूरा के बारे में

हमारे प्यारे नबी मुहम्मद ﷺ ने हमें बहुत सारी दुआएं सिखाई हैं। उनमें से एक बहुत प्यारी दुआ है दुआ ए मासूरा। यह दुआ अल्लाह से माफी मांगने का सबसे बेहतरीन तरीका है। आइए जानें इस दुआ के बारे में सब कुछ।

दुआ ए मासूरा का तारुफ़

हुज़ूर ﷺ ने अपने साहबा को यह दुआ सिखाई। जब भी कोई बंदा अल्लाह से माफी मांगना चाहे या अपने गुनाहों की तौबा करना चाहे, तो यह दुआ पढ़नी चाहिए। इस दुआ में हम अपनी कमियों को मानते हैं और अल्लाह की रहमत की दुआ करते हैं।

दुआ ए मासूरा की असल इबारत

اَللّٰھُمَّ أِنِّیْ ظَلَمْتُ نَفْسِیْ ظُلْمًا کَثِیْرًا وَّلَا یَغْفِرُ الذُّنُوْبَ اِلَّا أَنْتَ فَاغْفِرْلِیْ مَغْفِرَةً مِّنْ عِنْدِكَ وَارْحَمْنِیْ أِنَّكَ أَنْتَ الْغَفُوْرُ الرَّحِیْمَ

Dua E Masura Hindi Arabic Text

दुआ कैसे पढ़ें

“अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लम्तु नफ्सी ज़ुल्मन कसीरन, वला यग्फिरुज्ज़ुनूबा इल्ला अंता, फग्फिर ली मग्फिरतम्मिन इंदिका, वरहमनी इन्नका अंतल गफूरुर रहीम”

Dua E Masura In Hindi Text

दुआ का मतलब

ऐ अल्लाह! मैंने अपने ऊपर बहुत ज़्यादा ज़ुल्म किया है। सिर्फ आप ही गुनाहों को माफ कर सकते हैं। मुझे अपनी तरफ से बख्शिश दे दीजिए और मुझ पर रहम कीजिए। यकीनन आप ही बख्शने वाले और रहम करने वाले हैं।

दुआ ए मासूरा कब पढ़ें

नमाज़ के बाद

  • फज्र के बाद।
  • ज़ुहर के बाद।
  • असर के बाद।
  • मगरिब के बाद।
  • इशा के बाद।

खास मौकों पर

  • जुमे के दिन।
  • तहज्जुद में।
  • सहरी के वक्त।
  • इफ्तारी से पहले।
  • शबे कद्र में।

रोज़मर्रा में

  • मुश्किल वक्त में।
  • परेशानी में।
  • खुशी के मौके पर।
  • कोई गलती हो जाए तो।
  • तौबा करते वक्त।

इस दुआ की फज़ीलतें

दुनिया में फायदे

  • दिल को सुकून मिलता है।
  • मुश्किलें आसान होती हैं।
  • रोज़ी में बरकत होती है।
  • बीमारियों से शिफा मिलती है।
  • ज़िंदगी में बरकत आती है।

आखिरत के फायदे

  • गुनाह माफ होते हैं।
  • नेक आमाल की तौफीक मिलती है।
  • जन्नत का रास्ता आसान होता है।
  • अल्लाह की रज़ा मिलती है।
  • जहन्नम से बचाव होता है।

दुआ कैसे सीखें

पहला कदम

  • थोड़ा-थोड़ा करके सीखें।
  • रोज़ पढ़ने की आदत डालें।
  • किसी जानने वाले से सीखें।
  • दुआ का मतलब समझें।
  • साथियों के साथ मिलकर सीखें।

आगे का सफर

  • रोज़ाना प्रैक्टिस करें।
  • दूसरों को भी सिखाएं।
  • मन लगाकर पढ़ें।
  • बच्चों को भी सिखाएं।
  • इस पर अमल करें।

बच्चों को कैसे सिखाएं

  1. प्यार से समझाएं।
  2. छोटे-छोटे हिस्सों में बताएं।
  3. बार-बार दोहराएं।
  4. हौसला बढ़ाएं।
  5. खेल-खेल में याद करवाएं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

Q1: क्या हर कोई यह दुआ पढ़ सकता है?
A: जी हाँ, हर मुसलमान भाई-बहन पढ़ सकते हैं।

Q2: क्या इसे किसी खास वक्त ही पढ़ना चाहिए?
A: नहीं, जब दिल चाहे पढ़ सकते हैं।

Q3: क्या शुरू में देख कर पढ़ सकते हैं?
A: जी हाँ, बिल्कुल पढ़ सकते हैं।

Q4: दुआ याद न हो तो क्या करें?
A: किताब या फोन से देख कर पढ़ सकते हैं।

Q5: क्या बच्चे भी यह दुआ पढ़ सकते हैं?
A: हाँ, बच्चों को भी यह दुआ ज़रूर सिखानी चाहिए।

याद रखने वाली बातें

दुआ पढ़ते वक्त

  • दिल से पढ़ें।
  • समझ कर पढ़ें।
  • धीरे-धीरे पढ़ें।
  • रोज़ पढ़ें।
  • अमल की नीयत रखें।

आम गलतियां

  • बिना समझे पढ़ना।
  • जल्दी-जल्दी पढ़ना।
  • बेध्यानी में पढ़ना।
  • कभी-कभार पढ़ना।
  • बिना नीयत के पढ़ना।

आखिरी बात

दुआ ए मासूरा एक बहुत प्यारी दुआ है। इसे समझ कर और रोज़ पढ़ने से इंसान को दुनिया और आखिरत दोनों में फायदा मिलता है। अल्लाह पाक हम सबको इस दुआ को पढ़ने और समझने की तौफीक अता फरमाए। आमीन।

Rokaiya
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