दुआ ए क़ुनूत हिंदी में: एक मुकम्मल रहनुमाई (Dua E Qunoot in Hindi)

رہنمائی فہرست Guidance Index

بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ

अल्लाह के फज़ल और रहमत से, आज हम आपको एक बेहद अहम दुआ के बारे में बताएंगे। दुआ ए क़ुनूत हमारे प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद ﷺ की सुन्नत है। यह दुआ हमारी रोज़ाना की इबादत का एक खास हिस्सा है, खासकर वित्र नमाज़ में। इस दुआ में अल्लाह की हम्द-ओ-सना भी है, उनसे मदद की दरख्वास्त भी है, और माफी की गुज़ारिश भी। जब कोई मोमिन इस दुआ को पढ़ता है, तो अल्लाह से उसका ताल्लुक़ और मज़बूत होता है। अल्लाह की रहमत से, इस मज़मून में हम आपको दुआ ए क़ुनूत के बारे में तफसील से बताएंगे, ताकि आप इसे सही तरीके से पढ़ सकें और इसकी बरकतें हासिल कर सकें।

दुआ ए क़ुनूत की अहमियत

क़ुनूत का मतलब अरबी ज़बान में ‘फरमाबरदारी’ या ‘अल्लाह के सामने आजिज़ी से खड़े होना’ है। हमारे प्यारे नबी ﷺ ने हमें यह दुआ सिखाई है। जब हम इस दुआ को पढ़ते हैं, तो अल्लाह के हुज़ूर अपनी बंदगी का इज़हार करते हैं।

हदीस शरीफ में आया है कि हज़रत हसन बिन अली रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने उन्हें वित्र की दुआ ए क़ुनूत सिखाई। यह दुआ इस्लाम में बहुत अहम मक़ाम रखती है।

दुआ ए क़ुनूत अरबी में

اَللَّهُمَّ اِنَّا نَسۡتَعِيۡنُكَ وَنَسۡتَغْفِرُكَ وَنُؤۡمِنُ بِكَ وَنَتَوَكَّلُ عَلَيۡكَ وَنُثۡنِىۡ عَلَيۡكَ ٱلۡخَيۡرَ وَنَشۡكُرُكَ وَلَا نَكۡفُرُكَ وَنَخۡلَعُ وَنَتۡرُكُ مَنۡ يَّفۡجُرُكَ

اَللَّهُمَّ اِيَّاكَ نَعۡبُدُ وَلَكَ نُصَلِّئ وَنَسۡجُدُ وَاِلَيۡكَ نَسۡعٰى ونَحۡفِدُ ونَرۡجُوۡا رَحۡمَتَكَ وَنَخۡشٰى عَذَابَكَ اِنَّ عَذَابَكَ بِالۡكُفَّارِ مُلۡحِقٌٌ
Dua E Qunoot In Hindi Original Text Arabic

दुआ ए क़ुनूत का तलफ्फ़ुज़

पहला हिस्सा

“अल्लाहुम्मा इन्ना नस्तईनुका व नस्तग़फिरुका व नु’मिनु बिका व नतवक्कलु अलैका व नुथ्नी अलैकल खैर। व नश्कुरुका व ला नक्फुरुका व नख्ल’ऊ व नत्रुकु मन य्यफ्जुरुक।”

दूसरा हिस्सा

“अल्लाहुम्मा इय्याका नअबुदु व लका नुसल्ली व नस्जुदु व इलैका नसआ व नह्फिदु व नर्जु रह्मतका व नख्शा अदाबका इन्ना अदाबका बिल कुफ्फारि मुल्हिक।”

Dua E Qunoot In Hindi Text

दुआ ए क़ुनूत का तर्जुमा

पहले हिस्से का तर्जुमा

“ऐ अल्लाह! हम आपसे मदद मांगते हैं और माफी चाहते हैं। हम आप पर ईमान लाते हैं और आप पर तवक्कुल करते हैं। हम आपकी बेहतरीन तारीफ करते हैं। हम आपका शुक्र अदा करते हैं और आपकी नाशुक्री नहीं करते। और जो आपकी नाफरमानी करता है, हम उससे बरी होते हैं और उसे छोड़ देते हैं।”

दूसरे हिस्से का तर्जुमा

“ऐ अल्लाह! हम सिर्फ आपकी इबादत करते हैं और आपके लिए नमाज़ पढ़ते हैं और सज्दा करते हैं। हम आपकी तरफ दौड़ते हैं और आपकी खिदमत करते हैं। हम आपकी रहमत की उम्मीद रखते हैं और आपके अज़ाब से डरते हैं। यक़ीनन आपका अज़ाब काफिरों को मिलने वाला है।”

दुआ ए क़ुनूत पढ़ने का तरीक़ा

खड़े होने का तरीक़ा

  • पूरी आजिज़ी के साथ सीधे खड़े हों
  • सुकून से खड़े हों
  • क़िबला रुख़ होकर खड़े हों

हाथों की हालत

  • दोनों हाथ कंधों या कानों तक उठाएं
  • हथेलियां आसमान की तरफ रखें
  • उंगलियां न ज़्यादा फैलाएं न बिल्कुल मिलाएं

आंखों और चेहरे की हालत

  • विनम्रता से आंखें नीची रखें
  • चेहरे पर सुकून हो
  • दिल में खुशू-खुज़ू हो

आवाज़ का तरीक़ा

  • मुनासिब आवाज़ में पढ़ें
  • हर लफ्ज़ साफ और वाज़ेह हो
  • जल्दबाज़ी न करें

दुआ ए क़ुनूत कब पढ़ें

वित्र नमाज़ में

  • तीसरी रकात में
  • रुकू से पहले
  • क़ियाम की हालत में

रमज़ान में

  • हर वित्र नमाज़ में
  • तरावीह के बाद
  • जमाअत के साथ

मुश्किल वक्त में

  • कोई परेशानी हो
  • मुसीबत का वक्त हो
  • मदद की ज़रूरत हो

दुआ ए क़ुनूत के फज़ाइल

अल्लाह की क़ुरबत

  • यह दुआ बंदे को अल्लाह के क़रीब करती है
  • रूहानी तरक्क़ी का ज़रिया है
  • ईमान मज़बूत होता है

रहमत का नुज़ूल

  • अल्लाह की रहमत नाज़िल होती है
  • बरकतें मिलती हैं
  • दुआएं क़बूल होती हैं

गुनाहों की मग़फिरत

  • गुनाह माफ होते हैं
  • तौबा क़बूल होती है
  • नेकियां बढ़ती हैं

बच्चों को दुआ ए क़ुनूत सिखाने का तरीक़ा

आसान तरीक़ा

  • छोटे-छोटे हिस्सों में सिखाएं
  • बार-बार दोहराएं
  • प्यार से समझाएं

अमली तरीक़ा

  • साथ में पढ़ें
  • हर लफ्ज़ ठहर-ठहर कर सिखाएं
  • मानी समझाएं

हौसला अफज़ाई

  • तारीफ करें
  • इनाम दें
  • फज़ाइल बताएं

आम गलतियां और उनका हल

तलफ्फ़ुज़ की गलतियां

  • सही तलफ्फ़ुज़ सीखें
  • क़ारी साहब से सीखें
  • बार-बार मशक़ करें

पढ़ने का तरीक़ा

  • जल्दबाज़ी न करें
  • पूरा ध्यान रखें
  • सही वक्त का ख्याल रखें

हाथ उठाने का तरीक़ा

  • सही तरीक़े से उठाएं
  • दुआ के बाद चेहरे पर न फेरें
  • सुन्नत का ख्याल रखें

दुआ ए क़ुनूत अल्लाह की बारगाह में एक खास दुआ है। यह हमारी रोज़ाना की इबादत का अहम हिस्सा है। इस दुआ में अल्लाह की बंदगी का इक़रार है, उनकी मदद की तलब है, और उनकी रहमत की उम्मीद है। इसे सही तरीक़े से और समझ कर पढ़ें। अल्लाह तआला हम सब को इस दुआ को सही तरीक़े से अदा करने की तौफीक़ अता फरमाए। आमीन।

अहम नोट: यह रहनुमाई सिर्फ सीखने और समझने के लिए है। मज़ीद मालूमात के लिए अपनी मस्जिद के इमाम साहब या उलेमा-ए-किराम से रुजू करें।


डाउनलोड दुआ ए क़ुनूत का पीडीएफ

📥 दुआ ए क़ुनूत का पीडीएफ डाउनलोड करें

Rokaiya
Rokaiya