मस्जिद में जाने की दुआ | Masjid Me Jane Ki Dua
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मस्जिद हमारी जिंदगी का सबसे मुकद्दस मकाम है। जब हम मस्जिद में क़दम रखते हैं, तो कुछ मखसूस दुआएं पढ़नी चाहिए। आज हम जानेंगे कि मस्जिद में दाखिल होते वक्त कौन सी दुआ पढ़नी चाहिए, इसका सही तरीका क्या है, और इसकी फज़ीलत क्या है। यह गाइड खास तौर पर बच्चों और नए नमाजियों के लिए बनाई गई है।
मस्जिद में जाने की दुआ का मुकम्मल मतन
अरबी में दुआ:
اللَّهُمَّ افْتَحْ لِي أَبْوَابَ رَحْمَتِكَ
रोमन में पढ़ने का तरीका:
“Allahumma aftah li abwaba rahmatik”
हिंदी में तलफ्फ़ुज़:
“अल्लाहुम्मफ़्तह् ली अबवाब रहमतिक”
मायने:
“ऐ अल्लाह! मेरे लिए अपनी रहमत के दरवाज़े खोल दीजिए”
(O Allah! Open the doors of Your mercy for me)
दुआ को आसानी से कैसे याद करें
इस दुआ को चार हिस्सों में तक़सीम करके याद किया जा सकता है:
- अल्लाहुम्म (ऐ अल्लाह)
- फ़्तह् ली (मेरे लिए खोल दीजिए)
- अबवाब (दरवाज़े)
- रहमतिक (आपकी रहमत के)
याद करने के आसान तरीके:
- हर हिस्से को दिन में 3-4 बार दोहराएं
- मोबाइल में तस्वीर रख लें
- मस्जिद जाते वक्त एक बार जरूर पढ़ें
- दोस्तों के साथ मिल कर याद करें
मस्जिद जाने के आदाब
- पाक-साफ कपड़े पहनें
- वुज़ू करके जाएं
- दाहिना क़दम पहले रखें
- जूते-चप्पल मुक़र्ररा जगह पर रखें
- सुकून से चलें और गुफ्तगू न करें
बच्चों के लिए खास हिदायत
हमारे प्यारे बच्चों के लिए कुछ खास बातें:
- वालिदैन के साथ मस्जिद जाएं
- दुआ को आहिस्ता-आहिस्ता याद करें
- दोस्तों को भी तालीम दें
- मस्जिद में शोर न मचाएं
- नमाज के बाद दुआ में हाथ उठाएं
अक्सर पूछे जाने वाले सवालात
क्या दुआ सिर्फ अरबी में ही पढ़नी चाहिए?
नहीं, इब्तिदा में आप अपनी ज़बान में भी पढ़ सकते हैं। आहिस्ता-आहिस्ता अरबी सीख लें।
अगर दुआ भूल जाएं तो क्या करें?
कोई हर्ज नहीं, दिल से अल्लाह से दुआ मांगें। रफ्ता-रफ्ता याद हो जाएगी।
क्या बच्चे भी यह दुआ पढ़ सकते हैं?
बिल्कुल! बच्चों को छोटी उम्र से ही यह दुआ सिखानी चाहिए।
दुआ की फज़ीलत
- यह हमारे नबी ﷺ की सुन्नत है
- रहमत के दरवाज़े खुलते हैं
- नेकियां मिलती हैं
- दिल को इत्मीनान मिलता है
मस्जिद में जाने के वक्त की दुआ की अहमियत
मस्जिद में जाने की दुआ पढ़ने से:
- अल्लाह की रहमत नाज़िल होती है
- क़ल्ब साफ होता है
- इबादत में खुशू आता है
- गुनाह माफ होते हैं
दुआ पढ़ने का सही वक्त
- घर से निकलते वक्त
- मस्जिद की सीढ़ियां चढ़ते वक्त
- मस्जिद के दरवाज़े पर
- मस्जिद में दाखिल होते वक्त
अहम याददाश्त
- दुआ को समझ कर पढ़ें
- रोज़ाना पढ़ने की आदत डालें
- बच्चों को भी तालीम दें
- दूसरों की मदद करें
आखिरी बात
याद रखें, मस्जिद बैतुल्लाह है। यहां अदब से जाएं और यह दुआ जरूर पढ़ें। अल्लाह हम सब को नेक अमल की तौफीक़ अता फरमाए। आमीन।
Note for English readers:
This article explains the dua (prayer) for entering the mosque. The main prayer in Arabic is “Allahumma aftah li abwaba rahmatik” which means “O Allah, open the doors of Your mercy for me.” The article provides guidance on how to memorize this dua, proper etiquette when entering the mosque, and its importance in Islamic practice.
यह गाइड सही अहादीस और उलमा-ए-किराम की रहनुमाई से तैयार की गई है। अगर कोई गलती हो तो इस्लाह की दरखास्त है।
आखिरी अपडेट: नवंबर 2024
DuaDiaries.com – “रोज़मर्रा की दुआएं, आसान अल्फ़ाज़ में”