अस्सलामु अलैकुम! आज हम आपको मिट्टी देने की दुआ के बारे में बताएंगे। जब भी कोई मुसलमान इस दुनिया से रुखसत होता है, तो उनकी तदफीन (दफन) के वक्त हम यह दुआ पढ़ते हैं। यह दुआ हमें याद दिलाती है कि अल्लाह ने हमें मिट्टी से बनाया है, और एक दिन हम सबको मिट्टी में ही लौटना है। यह दुआ कुरान शरीफ की सूरह ताहा की 55वीं आयत है, जो हमें जिंदगी और मौत का सबक सिखाती है। आइए इस दुआ को विस्तार से समझें और जानें कि इसे कैसे और कब पढ़ना चाहिए।
Minha khalaqnakum wa feeha nueedukum wa minha nukhrijukum taratan ukhra
मिट्टी देने की दुआ हिंदी में कैसे पढ़ें
मिन्हा खलकनाकुम व फीहा नुईदुकुम व मिन्हा नुखरिजुकुम तारतन उखरा।
इस दुआ का मतलब क्या है?
हिंदी में: हमने तुम्हें इसी मिट्टी से पैदा किया, इसी में वापस लौटाएंगे, और इसी से दोबारा जिंदा करके उठाएंगे।
English meaning: From the earth We created you, to it We will return you, and from it We will bring you back once again.
मिट्टी देने की दुआ कब पढ़नी चाहिए?
जब हम किसी मरहूम को दफनाते हैं, तो कब्र में मिट्टी डालते वक्त यह दुआ पढ़ते हैं। यह दुआ तीन बार पढ़ी जाती है, और हर बार थोड़ी मिट्टी कब्र में डाली जाती है।
इस दुआ से क्या सीखते हैं
दोस्तों, यह दुआ हमें तीन अहम बातें सिखाती है:
अल्लाह ने हमें मिट्टी से बनाया है।
हम सब को एक दिन मिट्टी में लौटना है।
क़यामत के दिन अल्लाह हमें दोबारा जिंदा करेंगे।
For English Readers
The “Mitti Dene Ki Dua” (Prayer of Placing Earth) is a special prayer we recite during Islamic burials. We say this dua from the Holy Quran (Surah Taha, verse 55) while placing soil on the grave. The prayer reminds us that:
Allah created us from earth.
We will return to the earth.
Allah will bring us back to life from the earth on the Day of Judgment.
मिट्टी देने की दुआ कैसे पढ़ें – आसान तरीका
कब्र पर जाएं।
थोड़ी मिट्टी हाथ में लें।
दुआ पढ़ें और मिट्टी डालें।
यह काम तीन बार करें।
दिल से और अदब से पढ़ें।
इस दुआ के फायदे
मरहूम के लिए दुआ का सवाब मिलता है।
हमें अपनी मौत की याद आती है।
आखिरत की तैयारी का खयाल आता है।
अल्लाह की कुदरत को समझने में मदद मिलती है।
खत्म करने से पहले कुछ खास बातें
मिट्टी देने की दुआ एक बहुत खास दुआ है जो हमें जिंदगी की सच्चाई सिखाती है। जब भी आप किसी जनाज़े में जाएं, इस दुआ को जरूर पढ़ें और दूसरों को भी सिखाएं। याद रखें, एक दिन हम सबको अल्लाह के पास जाना है, और यह दुआ हमें इसी बात की याद दिलाती है।
अल्लाह तआला हम सबको नेक अमल करने की तौफीक अता फरमाए। आमीन।
Note: This prayer beautifully explains the cycle of life and death in Islam. Whether you’re reading this in Hindi or English, remember that every soul shall return to Allah, and this prayer helps us accept this truth with peace and understanding.