
Nazar se Bachne ki Dua: इस्लामी तरीके से बुरी नज़र से हिफ़ाज़त
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इस्लाम में nazar (evil eye) का ख़ास तौर पर ज़िक्र मिलता है। कई बार हमें महसूस होता है कि कामयाबी या ख़ूबसूरती देखने के बाद कुछ लोग अनजाने में ही बुरी नज़र डाल देते हैं, जिससे परेशानियाँ पैदा हो सकती हैं। इसी वजह से क़ुरआन और हदीस में हमें नज़र से बचने की दुआ पढ़ने और कुछ इस्लामी आदाब (मanners) अपनाने की ताक़ीद की गई है, ताकि अल्लाह की हिफ़ाज़त हमारे साथ रहे।
नज़र (Evil Eye) क्या है और इससे बचना क्यों ज़रूरी है
- नज़र की हक़ीक़त: इस्लाम मानता है कि बुरी नज़र वाक़ई असर रखती है। पैग़म्बर मुहम्मद (PBUH) ने भी फ़रमाया कि “नज़र हक़ है (सच है)।”
- शैतानी असर से दूर: कई बार जान-बूझकर या अनजाने में नज़र लग जाती है, जो सेहत, रोज़गार, रिश्ते आदि पर बुरा असर डाल सकती है।
- अल्लाह से हिफ़ाज़त: इस बुरी नज़र से महफ़ूज़ रहने का सबसे बेहतरीन तरीक़ा अल्लाह की पनाह माँगना है, यानी दुआओं और कुरआनी आयतों का सहारा लेना।
Islamic Dua for Evil Eye: नज़र से बचने की दुआ
जब आपको या आपके अपने किसी अज़ीज़ को शक़ हो कि नज़र लग गई है, या आप बचना चाहते हैं, तो नीचे दी गई दुआ पढ़ें:
अरबी (Arabic)
أَعُوذُ بِكَلِمَاتِ اللَّهِ التَّامَّاتِ مِنْ شَرِّ مَا خَلَقَ

ट्रांसलिट्रेशन (Transliteration)
A’oodhu bikalimaatillaahit-taammaati min sharri maa khalaq

हिंदी तर्जुमा (Hindi Translation)
“मैं अल्लाह के मुकम्मल (पूर्ण) कलिमात (शब्दों) की पनाह चाहता/चाहती हूँ,
उसकी तमाम مख़लूक़ात (रचनाओं) की बुराई से।”

मतलब और अहमियत
- इस दुआ के ज़रिए हम अल्लाह से गुज़ारिश करते हैं कि वह हमें सभी बुराइयों और ख़तरनाक असर से महफ़ूज़ रखे।
- यह दुआ सिर्फ़ नज़र से ही नहीं, बल्कि तमाम बुराईयों, जिन्नों और शैतानी असर से बचने के लिए पढ़ी जाती है।
Quranic Verses for Protection from Nazar
- Ayatul Kursi (Surah Al-Baqarah, 2:255)
- इस आयत को पढ़ने से इंसान बुराइयों और शैतानी असर से हिफ़ाज़त हासिल करता है।
- इसे पाँच वक़्त की नमाज़ के बाद, सोने से पहले, या किसी भी वक़्त पढ़ा जा सकता है।
- Surah Al-Falaq (113) और Surah An-Nas (114)
- इन्हें “Mu’awwidhatayn” कहा जाता है।
- कुरआन और हदीस में ज़िक्र है कि पैग़म्बर मुहम्मद (PBUH) बुरी नज़र और दूसरी मुसीबतों से बचने के लिए इन सूरतों को पढ़ने की ताक़ीद करते थे।
- Surah Al-Ikhlas (112)
- तौहीद (एकेश्वरवाद) की अहम सूरत मानी जाती है। इसे बार-बार पढ़ने से दिल में ईमान की क़ूवत बढ़ती है और बुरी नज़र का असर कम होता है।
Nazar Utarne ki Dua और रोज़मर्रा में अमल
- नमाज़ के बाद तिलावत
- हर फ़र्ज़ नमाज़ के बाद “Ayatul Kursi” और “Surah Al-Falaq, Surah An-Nas” की तिलावत करें।
- फिर ऊपर बताई गई “A’oodhu bikalimaatillaahit-taammaati…” दुआ पढ़ें।
- सुबह-शाम की तस्बीह
- सुबह और शाम के वक़्त, ख़ास तौर पर फज्र और मगरिब के बाद, ये दुआएँ (सूरतें) ज़रूर पढ़ें।
- इससे पूरे दिन या रात के दौरान अल्लाह की हिफ़ाज़त रहती है।
- सोने से पहले
- सोने से पहले वुज़ू कर लें और फिर Ayatul Kursi, Surah Al-Falaq, Surah An-Nas तीन-तीन बार पढ़ें।
- दोनों हाथों पर फूंककर पूरे जिस्म पर फेर लें।
- बच्चों को भी सिखाएँ
- बच्चों को “बिस्मिल्लाह” और छोटी-छोटी सुरahs याद करवाएँ।
- उन्हें भी बताएं कि जब भी डर लगे या कोई परेशानी हो, तो ये आयतें और दुआएँ पढ़ें।
बुरी नज़र से बचने के लिए कुछ प्रैक्टिकल टिप्स
- रियाज़त (Humility) बरतें
- दिखावा या घमंड से बचें। किसी भी कामयाबी, नेमत या ख़ूबसूरती को अल्लाह की देन समझें और शुक्र अदा करें।
- अल्हम्दुलिल्लाह कहना
- जब कोई तारीफ़ करे, तो “अल्हम्दुलिल्लाह” कहें ताकि दिल से पता चले कि सब कुछ अल्लाह का अता (दिया हुआ) है।
- Bismillah से शुरुआत
- हर नए काम की शुरुआत “बिस्मिल्लाह” से करें; यह आपके अमल में बरकत और हिफ़ाज़त दोनों लाता है।
- बच्चों को नज़र से बचाएँ
- ख़ासकर बच्चों पर नज़र जल्दी लग जाती है, इसलिए उनके ऊपर regelmäßig दुआ पढ़कर दम कर दिया करें।
अल्लाह पर भरोसा: सबसे बड़ी ताक़त
सारी दुआओं और एहतियात के साथ हमें याद रखना चाहिए कि अंतिम फ़ैसला अल्लाह के हाथ में है। अगर हमारा ईमान मज़बूत होगा और हम सच्चे दिल से अल्लाह की पनाह माँगेंगे, तो बुरी नज़र का असर ख़त्म हो जाएगा या बिल्कुल लगने ही नहीं पाएगा।
- “Dua for safety” का मतलब ही है अल्लाह की पनाह लेना, जो दुनिया की सबसे बेहतर हिफ़ाज़त है।
- जब भी दिल में डर या अनहोनी का ख़याल आए, बस अल्लाह को पुकारें और ये दुआएँ पढ़ें।
नतीजा: दुआओं और तौक्क़ुल से मिलती है सही हिफ़ाज़त
Nazar se Bachne ki Dua सिर्फ़ कुछ अल्फ़ाज़ नहीं, बल्कि अल्लाह पर भरोसा (तवक्क़ुल) और उसकी रहमत का तलबगार होना है। बुरी नज़र का असर इंसान की ज़िंदगी को मुश्किल बना सकता है, लेकिन अल्लाह की पनाह माँगते ही, वह हमें हर तरह की बला से बचा लेता है।
इसलिए, हर मुसलमान को चाहिए कि वह रोज़मर्रा की ज़िंदगी में इन दुआओं और कुरआनी आयतों को अपनाए, बच्चों को सिखाए, और अल्लाह का शुक्र अदा करता रहे। इसी से हमारा ईमान मज़बूत होगा और हम हर बुराई से महफ़ूज़ रहेंगे। अल्लाह हमें और हमारी औलाद को हर तरह की बुरी नज़र, हसद (ईर्ष्या) और शैतानी असर से बचाए। आमीन।