Qurbani Ki Dua In Hindi Main Text

Qurbani ki Dua in Hindi: Maqsad, Ahmiyat aur Tarika

1 min read

क़ुर्बानी (Qurbani) इस्लाम की एक ख़ास इबादत है, जो ईद-उल-अधा के मुबारक मौक़े पर अदा की जाती है। इसका ताल्लुक़ हज़रत इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) और उनके बेटे हज़रत इस्माईल (अलैहिस्सलाम) से है, जिनके वाक़ये में अल्लाह ताआला ने हमें वफ़ादारी और त्याग का बेहतरीन नज़ीर पेश किया। आज हम “Qurbani ki Dua in Hindi” पर तफ़्सील से बात करेंगे, ताकि हम सब ईद-उल-अधा के वक्त क़ुर्बानी को पूरी पाकीज़गी और सच्ची नीयत के साथ अदा कर सकें।


इस्लाम में क़ुर्बानी की अहमियत (Significance of Qurbani in Islam)

क़ुर्बानी को इस्लाम में बहुत ऊँचा दर्जा हासिल है। यह ईद-उल-अधा के मौक़े पर अदा की जाने वाली सुन्नत है, जो हज़रत इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) के क़िस्से से वाबस्ता है। अल्लाह ताआला ने उनकी आज़माइश के तौर पर अपने बेटे हज़रत इस्माईल (अलैहिस्सलाम) को कुर्बान करने का हुक्म दिया। हज़रत इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) ने बेझिझक अल्लाह का हुक्म मान लिया, मगर अल्लाह ताआला ने अपनी रहमत से हज़रत इस्माईल (अलैहिस्सलाम) की जगह एक जानवर भेज दिया, जिसको कुर्बान किया गया। इस वाक़ये से हमें अल्लाह की राह में सब कुछ कुर्बान कर देने की सीख मिलती है।


क़ुर्बानी की दुआ का मक़सद (Importance of Reciting the Qurbani Dua)

जब हम क़ुर्बानी करते हैं, तो यह सिर्फ़ जानवर ज़बह़ (हलाल तरीक़े से) करने का मसला नहीं रहता, बल्कि अल्लाह की ख़ुशनूदी हासिल करने की कोशिश होती है। क़ुर्बानी की दुआ (Qurbani Dua) पढ़ने से हम अल्लाह ताआला के सामने अपनी नीयत साफ़ रखते हैं—कि जो जानवर हम कुर्बान कर रहे हैं, वह अल्लाह की ही दी हुई नेमत है और हमने उसे उसी की ख़ातिर अर्पित किया है। दुआ के ज़रिए हम गुज़ारिश करते हैं कि अल्लाह हमारी क़ुर्बानी को कुबूल फ़रमाए और हमें इसका सवाब दे।


मुकम्मल क़ुर्बानी की दुआ (Complete Qurbani Dua)

क़ुर्बानी के वक़्त एक आसान और मशहूर दुआ पढ़ी जाती है:

Arabic (Urdu-Arabic Script)

بِسْمِ اللّٰهِ وَاللّٰهُ أَكْبَرُ، اَللّٰهُمَّ هٰذَا مِنْكَ وَلَكَ، اَللّٰهُمَّ تَقَبَّلْ مِنِّي

Qurbani Ki Dua In Arabic Text

Transliteration (Angrezi अक्षरों में)

Bismillāhi wallāhu akbar,
Allāhumma hādhā minka wa laka,
Allāhumma taqabbal minnī.

Qurbani Ki Dua In English Transliteration

Hindi Transliteration (हिंदी लहजा)

बिस्मिल्लाहि वल्लाहु अकबर,
अल्लाहुम्मा हाज़ा मिंका वा लका,
अल्लाहुम्मा तक़ब्बल मिन्नी।

Qurbani Ki Dua In Hindi Transliteration

Hindi Translation

“मैं इसे अल्लाह के नाम से शुरू करता हूँ, अल्लाह सबसे बड़ा है। ऐ अल्लाह! यह जानवर तेरी ही देन है और तेरे ही लिए कुर्बान कर रहा हूँ। ऐ अल्लाह! इसे मेरी ओर से कुबूल फ़रमा।”

कैसे पढ़ें:

  • दिल में यक़ीन रखें कि आपकी क़ुर्बानी महज़ अल्लाह की ख़ुशनूदी के लिए है।
  • ज़िब्ह से पहले सबसे पहले “बिस्मिल्लाह, अल्लाहु अकबर” कहें।
  • इसके बाद ऊपर लिखी पूरी दुआ पढ़ें।

क़ुर्बानी के दौरान दुआ कब और कैसे पढ़ें? (Step-by-Step Guidance)

  1. जानवर का सही इन्तिख़ाब: क़ुर्बानी के लिए सेहतमंद और शरीअत के मुताबिक़ जानवर लें (बकरी, भेड़, गाय, ऊँट वग़ैरा)। इस्लामी हिदायतों (Qurbani rules) के हिसाब से जानवर में कोई ख़ास नुक़्स नहीं होना चाहिए।
  2. नीयत (Intention): क़ुर्बानी शुरू करने से पहले दिल में पक्का इरादा करें कि आप सिर्फ़ अल्लाह ताआला की ख़ुशनूदी के लिए यह काम कर रहे हैं।
  3. जानवर को क़िब्ले की तरफ़ करें: जानवर का मुख़ क़िब्ले की तरफ़ रखें और आप भी उसी जानिब रुख़ करें।
  4. दुआ का उच्चारण: ज़िब्ह से पहले “बिस्मिल्लाह, अल्लाहु अकबर” बोलें और फिर क़ुर्बानी की दुआ (Qurbani ki Dua) पढ़ें।
  5. अल्लाह का नाम लेना ज़रूरी: ज़िब्ह के वक़्त अल्लाह का नाम लेना बहुत अहम है।
  6. ज़िब्ह का अमल: तेज़ छुरी इस्तेमाल करें, ताकि जानवर को कम तकलीफ़ हो।
  7. गोश्त की तक़सीम: जानवर की जान निकलने के बाद, गोश्त को शरीअत के मुताबिक़ तीन हिस्सों में बाँटा जाता है—एक हिस्सा अपने घर के लिए, दूसरा रिश्तेदारों/दोस्तों के लिए, और तीसरा ग़रीबों और ज़रूरतमंदों के लिए।

इस्लामी हिदायतों के मुताबिक़ क़ुर्बानी करने के टिप्स (Tips for Performing Qurbani Correctly)

  1. हलाल जानवर: सुनिश्चित करें कि आप वही जानवर ख़रीद रहे हैं, जिसकी क़ुर्बानी की इजाज़त इस्लाम में है।
  2. उम्र का ख़याल रखें: बकरी या भेड़ कम से कम एक साल की, गाय कम से कम दो साल की और ऊँट कम से कम पाँच साल का होना चाहिए।
  3. पाकीज़गी का ख़याल: क़ुर्बानी से पहले, हाथ, औज़ार और जगह को साफ़ रखें।
  4. नरमी से पेश आएँ: जानवर के साथ बेरहमी न करें; उसे सहूलत के साथ ज़िब्ह की जगह तक लाएँ।
  5. वक़्त का ध्यान: ईद-उल-अधा की नमाज़ के बाद से लेकर 12वीं ज़िलहिज्जा की मग़रिब तक क़ुर्बानी का वक़्त रहता है।
  6. गोश्त की तक़सीम: इस्लामी तरीक़े से तीन हिस्से बाँटने का रिवाज़ है, जिससे ग़रीबों और ज़रूरतमंदों तक भी इस खुशी का फ़ायदा पहुँचे।
  7. इंसानियत और भलाई: क़ुर्बानी का असल मक़सद अल्लाह की ख़ुशी और इस्लाम की रूह को ज़िंदा रखना है। ज़रूरतमंदों तक मदद पहुँचाना भी इसका हिस्सा है।

ख़ुलूस के साथ क़ुर्बानी अदा करें (Conclusion)

Qurbani ki Dua in Hindi” सीखने और क़ुर्बानी से जुड़े तमाम अहम पहलुओं (Qurbani in Islam, Qurbani rules) का ख़याल रखने से हमारी इबादत ज़्यादा मक़बूल होने की उम्मीद रहती है। जब हम हज़रत इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) और हज़रत इस्माईल (अलैहिस्सलाम) की तरह अपना सब कुछ अल्लाह के हवाले कर देते हैं, तो क़ुर्बानी की रूह हमारे अंदर जाग उठती है। क़ुर्बानी अदा करने से पहले और बाद में भी अपना दिल साफ़ रखें और अल्लाह से दुआ करें कि वह आपकी क़ुर्बानी को कुबूल फ़रमाए।

अल्लाह ताआला हम सबको इस मुबारक अमल से फ़ैज़ उठाने की तौफ़ीक़ दे। आमीन।
ईद-उल-अधा की दिली मुबारकबाद और दुआ है कि आप सबकी क़ुर्बानी कुबूल हो!