Wazu Ki Dua (वज़ू की दुआ): पढ़ने का तरीका और फज़ीलत
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वज़ू की दुआ (Wazu ki Dua) इस्लाम में एक अहम इबादत है जो हमें नमाज़ की तैयारी के लिए रूहानी और जिस्मानी तौर पर पाक करती है। हर मुसलमान को वज़ू से पहले और बाद में पढ़ी जाने वाली दोनों दुआओं का सही तरीका मालूम होना चाहिए।
अल्लाह के हबीब हज़रत मुहम्मद ﷺ ने हमें वज़ू की यह मुबारक दुआएं सिखाई हैं। जब हम इन दुआओं को समझ कर पढ़ते हैं, तो हमारा वज़ू महज़ सफाई का अमल नहीं रहता, बल्कि इबादत का एक खूबसूरत ज़रिया बन जाता है। आइए जानें इन दुआओं का सही तरीका और इनकी फज़ीलत।
वज़ू से पहले की दुआ (Wazu ki Dua Before Wuzu)
वज़ू शुरू करने से पहले यह दुआ पढ़ें:
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
पढ़ने का तरीका: बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
अर्थ: अल्लाह के नाम से (शुरू करता हूं) जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।
वज़ू के बाद की दुआ (Wazu ki Dua After Wuzu)
वज़ू पूरा करने के बाद यह दुआ पढ़ें:
أَشْهَدُ أَنْ لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيكَ لَهُ، وَأَشْهَدُ أَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهُ وَرَسُولُهُ
पढ़ने का तरीका: अश्हदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाहु वह्दहु ला शरीका लहु व अश्हदु अन्ना मुहम्मदन् अब्दुहु व रसूलुह।
अर्थ: मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवा कोई मअबूद नहीं, वह अकेला है, उसका कोई शरीक नहीं और मैं गवाही देता हूं कि मुहम्मद ﷺ अल्लाह के बंदे और उसके रसूल हैं।
अंग्रेजी में पढ़ने का तरीका: Ash-hadu al-laa ilaaha illal-laahu wahdahu laa shareeka lahu, wa ash-hadu anna Muhammadan ‘abduhu wa rasooluhu
वज़ू की दुआ के फवाइद (फायदे)
- रूहानी पाकीज़गी
- सिर्फ जिस्म ही नहीं, रूह भी पाक होती है
- दिल को सुकून मिलता है
- गुनाहों से पाकी मिलती है
- ईमान की मज़बूती
- अल्लाह की वहदानियत का इक़रार
- रसूल ﷺ की रिसालत की गवाही
- कलमा-ए-शहादत का तजदीद
- जन्नत की बशारत
- जन्नत के आठों दरवाज़े खुल जाते हैं
- नेकियों का सवाब मिलता है
- अल्लाह की रहमत नाज़िल होती है
वज़ू की दुआ पढ़ने का सही तरीका
- वज़ू से पहले
- पाक साफ जगह पर बैठें
- किब्ला रुख़ हों
- बिस्मिल्लाह पढ़ें
- वज़ू के दौरान
- हर अमल को सुन्नत के मुताबिक़ करें
- दिल में खुशू-खुज़ू रखें
- जल्दबाज़ी न करें
- वज़ू के बाद
- दोनों हाथ उठाकर दुआ पढ़ें
- आसमान की तरफ देखें
- दिल से पढ़ें
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q: क्या वज़ू की दुआ पढ़ना ज़रूरी है?
A: यह सुन्नत है और इसमें बहुत फज़ीलत है।
Q: अगर दुआ याद न हो तो?
A: दुआ की किताब या मोबाइल से देख कर पढ़ सकते हैं।
Q: क्या दुआ को समझना ज़रूरी है?
A: हाँ, मानी समझ कर पढ़ने से ज़्यादा फायदा होता है।
वज़ू की दुआ की फज़ीलत और अहमियत
वज़ू की दुआ (Wazu ki Dua) एक खास इबादत है जो हमें अल्लाह से क़रीब करती है। यह सिर्फ अल्फाज़ नहीं, बल्कि एक मोमिन के दिल की आवाज़ है। जब हम वज़ू करते वक़्त यह दुआएं पढ़ते हैं, तो हमारा वज़ू सिर्फ जिस्मानी सफाई नहीं रहता, बल्कि रूहानी तहारत का ज़रिया बन जाता है।
हर मुसलमान को चाहिए कि वह इन दुआओं को न सिर्फ याद करे, बल्कि इनके मानी को समझ कर पढ़े। इस तरह हमारी इबादत में खुशू-खुज़ू पैदा होगा और अल्लाह की रज़ा हासिल होगी।
नोट: यह मालूमात आम समझ के लिए है। ज़्यादा तफसील के लिए अपने मक़ामी उलमा से रुजू करें।